एक य़े भी मकान है, एक वो भी मकान था.
वो घर से भी प्यारा था कई मायनों में... (वो शहर भी तो कुछ ख़ास था)
य़े मकान तो कितना बड़ा है, वो तो बस एक कमरा भर था.
उसी में वो आतंक मचाते थे, दिन भर, नींद ख़राब होती थी
मगर मुझे जागते देख उनका सहमा हुआ चेहरा...
कई बार सोते रहने का नाटक किया... (उनकी शैतानियाँ भी तो कुछ ख़ास थी)
वो पैर घसीट के आना, वो कांपती प्लेटें,
छलकती चाय, सब्जियों से भीगते पराठे.
यहाँ कोई करता नहीं शोर-गुल. नींद फिर भी जोरो से आती नहीं
रेंट तो तब भी दिया था, बस किरायेदार अब ही बना हूँ.
Nice Line Darpan,
ReplyDeleteMust say it made me nostlgic... I would like to say:
shiddate lucknow, bhai tauba.
phir vo hi ham, phir vo hi ameenabaad
Nice
DeleteIf you want to get a good deal from thіs artіcle then yоu havе to
ReplyDeleteapρly these methoԁs to your ωon webpage.
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